उजाले की ओर----संस्मरण

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उजाले की ओर----संस्मरण ------------------------ नमस्कार स्नेही मित्रों ज़िंदगी की गलियों के अनुभव कुछ खट्टे,कुछ मीठे तो कुछ कड़वे भी ! लेकिन हर दिन नए अनुभव होते हैं और वे हमें कुछ न कुछ तो देकर जाते ही हैं | ये अनुभव केवल मेरी ही थाती थोड़े ही हैं ,ये हम सबको मिलते हैं | एक नए दिन के उजाले से दिन की रोशनी धरती से लेकर मन के कोने-कोने में पसरती है और साँझ होते-होते न जाने कितनी घटनाएँ और उनमें छिपे कितने अनुभवों से हमें सराबोर कर जाती है| बात बड़ी