वह अब भी वहीं है - 28

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भाग -28 समीना उस समय मैं गुस्से से ज़्यादा अंदर से टूट रहा था, खुद को बड़ा कमजोर महसूस कर रहा था। मगर छब्बी एकदम टीचर की तरह बोली, 'सुन-सुन, मेरी सही-सही सुन, तुझे तेरे दोस्तों ने न चढ़ाया है झाड़ पर, और न तू झाड़ पर चढ़ा है। उन सबने भले ही तुम्हें झाड़ पर चढ़ाने के लिए ही सारी बातें कहीं थीं, लेकिन सारी बातें हैं बिलकुल सही। हां, अभी तू जो कर रहा है वह जरूर झाड़ पर चढ़ना है। मोटी के कहने पर तू चढ़ा जा रहा है, कि नहीं करनी ऐक्टिंग। मोटी तो चाहती ही