वह अब भी वहीं है - 15

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भाग -15 अपने प्रति उसका यह लगाव, अधिकार देख कर मैं भावुक हो उठा। क्षणभर उसकी आंखों में देखा जो भरी-भरी सी थीं। जिनमें खुद के लिए प्यार ही प्यार और उतना ही अधिकार भी उमड़ता देख रहा था। अचानक मैंने भावावेश में आकर उसे बांहों में जकड़ लिया। हम-दोनों उस क्षण डूब जाना चाहते प्यार के सागर में बिल्कुल गहरे, एकदम तल तक। लेकिन तोंदियल रोड़ा बना हुआ था। हम-दोनों को उस पर बड़ी गुस्सा आ रही थी, लेकिन विवश थे। किच-किचा कर रह गए। लेकिन अब सोचता हूँ कि उस बेचारे की भी क्या गलती थी, अलग हटने