भाग -13 उसी दिन मैंने देखा कि अपने लक्ष्य के लिए कैसे जुनूनी होकर कोशिश की जाती है, और लक्ष्य पाने के लिए कैसे अपने को फिट रखा जाता है। मैडम केवल सप्ताह के दो-दिन खूब जम के खाती-पीती थीं। मस्ती करती थीं। सप्ताहांत होने की पहले वाली शाम और रात, अगले दिन पूरी छुट्टी, बाकी दिन यदि रात में दो-तीन पैग शराब को छोड़ दें, तो बड़ा संयम से रहती थीं, कड़ी मेहनत करती थीं। समीना दो-चार दिन बाद मेरा मन वहां लगने लगा। साहब के यहां की तरह यहां एक खास तरह का भय हावी नहीं रहता था।