वह अब भी वहीं है - 12

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भाग - 12 तोंदियल ने एक तरह से मुझे कपड़े की तरह धोकर, निचोड़कर तार पर लटका दिया था। मैं निचुड़ा हुआ बॉलकनी की रेलिंग पर खड़ा नीचे देखे जा रहा था। सोचा भी नहीं था कि यहां नौकरों को ऐसे कैद कर दिया जाता है। कम से कम इस बिल्डिंग में तो सारे नौकर कैद ही थे। करीब पांच बजे कॉल-बेल बजी। तोंदियल के प्रति मुझमें अब-तक कुछ सम्मान भाव पैदा हो चुका था। उसके उठने से पहले मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। सामने साहब का एक ड्राइवर जिसे मैं पहचानता था, और करीब तीस-पैंतीस की उम्र की एक