वह अब भी वहीं है - 10

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भाग - 10 अपनी तरह की खूबसूरत, सेक्सी, बिंदास महिला के साथ टेबिल लाइट डिनर का सपना चूर-चूर हो गया। सामने हमारा खाना रखा था। समीना मैं सपने में भी अन्न का अपमान नहीं करता, क्योंकि दुनियां में सब-कुछ केवल इसी के लिए ही तो होता है। लेकिन उस क्षण मेरा मन उस खाने को देखकर घृणा, क्रोध से उबल पड़ा। मन में आया कि, उसे उठाऊं और अंदर महंगी शराब के नशे में चूर होती जा रहीं सुन्दर हिडिम्बा के चेहरे पर नहीं, उसकी छाती पर खींच कर मारूं। छाती पर इसलिए कि, जिससे वह सब-कुछ आसानी से देख