भाग - 4 समीना तुम मुझे हमेशा नहीं, बल्कि शुरू के दो-तीन सालों तक आए दिन ऐड़ा-टट्टू कहा करती थी। लेकिन नहीं-नहीं समीना, मैं हर वक़्त हर क्षण अपने सपने को पूरा करने के लिए बेचैन रहता था। अब-तक मैंने जितने काम किए। जितने तरह के काम किए वह सब केवल अपने सपने को पूरा करने के लिए रास्ता बना सकूं, सिर्फ़ इसलिए किए। बाबूराम द्वारा ठगा जा रहा हूं, यह जानते हुए भी मैं अगले दिन सेठ के पास पहुंचा। क्योंकि मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं था। वहां पहुंचने पर अपने को और ठगा हुआ पाया। जानती