हे अनंत , ज्वलंत हो तुम ।सृष्टि के कण _कण में । संध्या की लालिमा में , अंबर की नीलिमा में , धरती की हरियाली में , सूरज के उजियाले में । ।। हे, अनंत। ।। सरिता के कल _ कल में ,सागर के हलचल में ,पवित्र। मानसों। मे ,प्रफुल्ल