राज गुस्से में वीर प्रताप के कमरे में गया। उसके हाथों में आज सुबह का अखबार था। उसने कमरे में जाते ही खिड़कियों से पर्दे हटाएं और सूरज की किरणों का कमरे में स्वागत किया। टीवी का रिमोट ले, उसने लोकल न्यूज चैनल शुरू किए। अपने आस पास हलचल महसूस कर वीर प्रताप ने आंखे खोली। वो अपने बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठा। " ये क्या नाटक है, सुबह सुबह तुम्हे मेरे कमरे में आने की इज्जाजत किसने दी ?" उसने गुस्से में राज से पूछा। " सुबह, आंखे अगर ठीक से खोलेंगे तो आपको पता चलेगा की दोपहर होने में