इश्क फरामोश - 19

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19. आखिर तुम्हे आना था सुबह अभी सिर्फ अनीता ही उठी थी. भापाजी और गायत्री के लिए चाय की ट्रे लगा रही थी कि बाहर के दरवाजे की घंटी बजी. इतनी सुबह तो कोई नहीं आता. मगर हो सकता है भापाजी ने ड्राईवर को जल्दी बुलाया हो. ये सोचते हुए अनीता ने दरवाज़ा खोला तो सामने सोनिया को देख कर चौंक गयी. एक बार को उसे लगा कि शायद आँखों को धोखा हुया है. इस घर में कई साल रहते हुए कभी इतनी सुबह अनीता ने नहीं देखा था सोनिया को. लेकिन सोनिया ही थी. वो भी नहा धो कर