14. वो गुजरा ज़माना सुजाता की फिलिंग के बाद दवाएं बता कर उन्हें अगले हफ्ते की अपॉइंटमेंट दे कर रौनक दोनों को बाहर गाडी तक छोड़ने आया. रास्ते में किरण ने कुछ घर का सामान खरीदा. सुजाता गाडी में ही बैठी रहीं. अब धीरे-धीरे जो लोकल एनेसथीसिया का असर कम हो रहा था तो दाढ़ और होंठ के एहसास लौट रहे थे साथ ही आ रहा था दर्द. दाढ़ में खुदाई हुयी थी खराब हिस्सा निकाल दिया गया था. अच्छा खासा घाव था. टीसने लग गया था. यही वक़्त था दर्द की दवा खाने का. सुजाता ने फ्लास्क में से