10. ये क्या हुया? भापाजी का वो दिन बेकार नहीं गया था. हालाँकि वकील साहब को साथ लेने का कोई कानूनी नफ़ा-नुक्सान तो नहीं हुया था. लेकिन जिस तरह की सिचुएशन बेटे पर आन पडी थी भापा जी कोई भी असावधानी रख के बाद में पछताने की स्थिति में हरगिज़ नहीं थे. अब जिस्म में जवानी जैसी ताकत नहीं रह गयी है. जिसके चलते भावनात्मक तौर पर शुरू से ही कुछ कच्चे से रहे भापाजी अब बहुत जल्दी घबरा जाते हैं. उनकी तबीयत एकदम गिर जाती है. गायत्री तो हमेशा ही शुगर और गठिया के चलते ढीली-ढीली सी रहती हैं,