इश्क फरामोश - 6

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6. जान में जान आयी यही सब सोचता हुआ रौनक बैठा था जब उसने एक वर्दी धारी पुलिस अधिकारी को अन्दर दाखिल होते हुए देखा. टेढ़ी कुर्सी पर बैठा हुआ रौनक काफी देर से उठने का बहाना ही ढूंढ रहा था. फ़ौरन उठ खड़ा हुआ. वे उसकी तरफ बढ़े. रौनक भी आगे बढ़ा. बैज पर नाम पढ़ा. सूर्यनारायण सिंह. “रौनक छाबड़ा.” रौनक ने कहा और सिंह के सम्मुख खडा हो गया. हाथ मिलाने के लिए बढ़ाने ही वाला था कि याद आया आज यहाँ एक अपराधी की हैसियत से उसका बुलावा हुया है. फ़ौरन हाथ नीचे कर लिया. लेकिन तभी