तू इस मन का दास ना बन

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तू इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले देखो मन के खेल निराले नित्य नित्य नव डेरा डाले नए अश्व के जैसा चंचल, किसी के संभले ना आए संभाले इंद्रियों के विषयों में फस कर, जीवन यू ना व्यर्थ गंवा रे तुम इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले.... मन मन ही गिराए मन उठाएं , मन ही गरीब अमीर बनाए मन से बड़ा शत्रु नहीं कोई मन ही परम मित्र कहलाए अभ्यास और वैराग्य के बल से, दृढ़ता से मन पर तू काबू पा