रीगम बाला - 17

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(17) “तुम सब लोग गोलियों के निशाने पर हो ..अपने हथियार जमीन पर डाल दो ..चारों ओर से घेरे जा चुके हो .” कबायली के कराठ से गुर्राहट निकलने लगी । आवाज फिर आयी। “तुम सब की पोज़ीशन मेरी नज़रों में है ..जो अपने स्थान से हिला ..मारा गया ।” “तुम कौन हो और क्या चाहते हो ?” कबायली गुर्राया । “सड़क की ओर मुंह करके खड़े हो जाओ ..” आवाज आई। “यह नहीं हो सकता ..जो चाहे करो” “नहीं ..नहीं ..” उस कबायली के दोनों साथियों की आवाज़ें सुनाई दी।” “अरे चुप रहो ...नामर्दों ..” कबायली दहाड़ा । फिर