टेढी पगडंडियाँ 21 रात अपने अंतिम पङाव पर थी । चांद अपनी यात्रा पूरी कर लौट चुका था । नीले आसमान का रंग राख जैसा हुआ पङा था । तारे गायब हो चुके थे । पर सूरज ने अपनी किरणें बिखेरनी शुरु नहीं की थी । शबनम की बूंदें सारी धरती पर बिछी हुई थी तो घास गीली थी । पेङों की पत्तियाँ कोहरे में लिपटी हुई ऐसे लग रही थी जैसे काले रंग के घोल में से निकालकर सूखने डालने के लिए पेङों पर लटका दी गयी हों । गुरद्वारे में पाठी ने पाठ करना शुरु