इस तमिल कहानी की लेखिका वासंती है | अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा | लिफ्ट के अंदर कोई नहीं था। उसको इसके अंदर अकेले रहना पसंद है। किसी की निगाह में आए बिना अकेले रहना ऊपर पंखे का चलना उसके नीचे खड़े रहना उसको बहुत पसंद है। बाहर की गर्मी और चिपचिपाहट इसके नीचे गायब हो जाती है । सारे प्रपंच खत्म हो जाते हैं। थोड़ी देर के लिए अकेलापन उसे सब बातों से छुटकारे का एहसास दिलाता । यह सिर्फ कुछ क्षणों के लिए ही है इसी बात का उसे दुख है। वह लिफ्ट तेजी से नवीं मंजिल की तरफ