बेपनाह - 17

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17 “चल ठीक है अभी खाना क्या खाएगा बता दे ?” “हम लोगों ने अभी ढाबे पर खाया है, शुभी को तेज भूख लग रही थी।“ “मतलब खाना नहीं खाना है ।” वो थोड़ा गुस्से से बोले । “कल शाम को बना कर रखना यही आकर खाऊँगा ।“ “चल कोई नहीं ! तुम दोनों के सोने का इंतजाम कर देते हैं ।” दोनों कमरों में बेड पड़े हुए थे ! एक में उसकी पत्नी, उसकी बेटी और शुभी सो गए दूसरे में ऋषभ और उसका दोस्त । सुबह जल्दी उठना था इसलिए शुभी तो लेटते ही सो गयी लेकिन ऋषभ