विशाल छाया - 14 - अंतिम भाग

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(14) “हां, मगर जब उस शेर की कोठी पर पहुंचोगे, तो वह शेर पुलिस वालों के साथ यहाँ रहेगा। तुम रीबी और लिली को लेकर चल देना। यहाँ तो कुछ नहीं है?” “नहीं, मगर यहाँ से गोदाम का पता चलाया जा सकता है। ” “तुम जाओ! बाहर कार खडी है। यहाँ मैं संभाल लूँगा। ” “अपनी कार से जाऊं ?” बालचन ने पूछा ।  “पागल हो गये हो क्या! नगर की सारी पुलिस जाग रही है। पहचान लिये गये तो बचाना कठिन हो जायेगा । ” “अच्छा ....” बालचन ने कहा और अपने दो साथियों को लेकर कार तक आया