मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--भाग(७)

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जमींदार प्रभातसिंह की बात सुनकर अजीजन बोली.... काश,आपकी तरह दुनिया का हर मर्द हम औरतों की इज्जत करता होता तो दुनिया में औरतों की ये दशा ना होती,जमींदार साहब! इस पुरूषसत्तात्मक दुनिया में ये सदियों से चला आ रहा है लेकिन औरतों का हौसला आज भी कायम है,जो एक जीव को धरती पर ला सकती है वो कुछ भी कर सकती है,बस करना नहीं चाहती क्योंकि उसकी ममता और उसके भीतर जो दया का भाव है वो उसे गलत काम करने से रोकता है,अगर औरत जैसी दया और ममता मर्दों में एक प्रतिशत भी आ जाए तो उस दिन ये