पहले तो उपेन्द्र ने बाहर खूब शराब की और घर आकर महुआ से ये कहा.... तुम कमाती हो तो जब चाहो मनमानी करोगी,तुमने जमींदार साहब से पलाश को बोर्डिंग स्कूल भेजने को कहा,तुम चाहती क्या हो ? कि एक एक करके मेरे सारे बच्चे मुझ से दूर चलें जाएं,तुम्हारी इतनी हिम्मत,लगता है तुम अपनी औकात भूल गई हो और उस रात उपेन्द्र ने शराब के नशे में महुआ पर हाथ भी उठा दिया,महुआ उस समय तो कुछ ना बोली क्योंकि वो जानती थी कि अभी उपेन्द्र नशें में है उसकी बात वो नहीं समझेगा और वो चुपचाप मार खाती रही।।