बूँद भर शब्द

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लघु कथा लघु कथा 'सारी उम्र बीत गयी रे छोर्री!' "नू ही साड़ी पहनते हुए, इब इस उम्र में क्या सूट पहरूँगी ! यह सुथ्हन वाले सूट ब्याह के बाद कोणी पहरे जावे म्हारी बिरादरी में!' 'ब्याह के बाद छोरी की चाहे जित्ती भी उम्र हॉवे उसे साडी ही पहननी पड़े और सर से तो पल्लू उतरने ही न पावे तो तू चाहवे के इब मैं सलवार सूट पहर लूँ,न मेरे से कोनि होवे येह, जा मैं कमरे से बाहर ही ना लिकढूंगी इब " कहते कहते मिथलेश ने अपनी साड़ी को और कसकर अपने दुबली सी देह पर लपेट