ये अजीब था। ये किसी परा-वैज्ञानिक की खोज थी। इसकी पुष्टि भी कई अनुभवी विद्वानों ने की थी। दुनिया के हर प्राणी में मस्तिष्क तो होता ही है चाहे ये विशालकाय हो या फिर छोटा सा। और ये सबमें अलग - अलग होता है। अलग प्रजाति के प्राणी में तो अलग होता ही है, एक ही नस्ल के जंतुओं में भी एकसा नहीं होता। सब अलग- अलग बनावट का दिमाग़ रखते हैं इसीलिए अलग - अलग बर्ताव भी करते हैं। और वो आदमी जादू जानता था। जादू ही तो था ये। अर्थात वो एक जानवर का दिमाग एक प्राणी से