टापुओं पर पिकनिक - 88

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दिन कितनी जल्दी बीतते हैं।इन चांद और सूरज को देखो, चक्कर काटते ही रहते हैं। ये नहीं, कि कभी तो ज़रा रुक कर दम ले लें। इंसान को कभी तो ऐसा लगे कि हां, चलो आज ज़रा ज़्यादा वक्त मिल गया। चौबीस घंटे हुए नहीं कि बस, दिन हाथ से छिन गया।तो ये दिन ऐसे ही अपने वक्त के शाश्वत हिसाब से झटपट बीत गए और मधुरिमा व तेन का वापस जापान लौटने का टाइम आ गया।- हाय, हमेशा यहां नहीं रह सकते क्या? मधुरिमा ने अंगड़ाई लेते हुए लापरवाही से तेन से पूछा।तेन बोला- किसके लिए रुकना है यहां,