मधुरिमा के माता - पिता आज ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे। उनके तो पांव ही ज़मीन पर नहीं पड़ते थे। बात ही ऐसी थी। आज मधुरिमा आ रही थी। उनकी वो बिटिया, जिसे उन्होंने कभी जापान में पढ़ने की बात मान कर वहां भेजा था, अब अपने पति और नन्ही बिटिया को साथ लेकर भारत आ रही थी। उसके पति तेन को वैसे तो उन्होंने आगोश के एक दोस्त के रूप में देखा था, किंतु अब वो उसे पहली बार अपने दामाद के रूप में देखने वाले थे। सब प्रफुल्लित थे। मधुरिमा जिस फ्लाइट से आ रही थी