प्रेम और पेड़

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बहुत पहले हमारे बीच एक पेड़ हुआ करता था। जब पेड़ छोटा था हम रोज उसके बड़े होने की कामना में अपने हिस्से का थोड़ा पानी पेड़ को दे जाते। पेड़ से लगाव इसलिए भी अधिक था क्योंकि दोनों को लगता था हमारा संबध पेड़ के जड़ों से जुड़ा हुआ है, जो हर दिन मजबूत और भीतर से गहरा हो रहा। पेड़ के बिना प्रेम की कल्पना अधूरी थी। कुछ वर्ष बीतने बाद पेड़ की परछाई हमें छाव देने लगी। दोनों का लंबा समय पेड़ के नीचे बीतने लगा था। अक्सर छाव के नीचे बैठे हम पत्तों की ओर देखकर