में और मेरे अहसास - 42

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न पुछो हमसे की महोब्बत मे वो कीतना खयाल रखती है।लाखो की भीड मे भी वो मेरा सबके सामने हाल पुछती है। मुझे देखकर ना वक़्त देखती है, ना वक़्त का तकाज़ा देखती है lभरी महफिल मे भी वो मेरा सबके सामने हाल पुछती है। मेरा नाम सुनते ही गाल शर्म से लाल हो जाते हैं आज भी और lउम्र के इस दौर मे भी वो मेरा सबके सामने हाल पुछती है। हर अदा निराली, हर बात पे मीठी सी मुस्कान दिया करना lशर्मो हया के पर्दे मे भी वो मेरा सबके सामने चाल  पुछती है। बेपनाह बेइंतिहा मुहब्बत मे