कर्तव्य - 5

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कर्तव्य (5) बारात में हमारी कुछ नई सहेलियों से मुलाक़ात हुई तो उनके साथ खेलने में बहुत आनंद आ रहा था । घर पर आने के बाद उन सब की याद आ रही थी लेकिन भाभीजी के सानिध्य में ज़्यादा कमी नहीं खली । शाम की दावत के लिए पूरी तैयारी हो रही थी, हम यह तय करना चाह रहे थे कि हम और पूर्व भैया कौन सी ड्रेस पहनें । हम अंदर से अपनी-अपनी ड्रेस ले आए और भाभीजी को दिखाने लगे, तभी दीदी ने कहा— “तुम लोग भाभीजी को