जापान से लौट कर आने के बाद से साजिद और मनप्रीत का एक बड़ा बोझ और भी उतर गया था। वो मधुरिमा के पैसे उसे सकुशल वापस लौटा आए थे। बोझ तो था ही वो। कितना मुश्किल होता है आज के ज़माने में किसी की अमानत के तौर पर साठ लाख रुपए को संभाल कर रखना! वो भी ऐसे मित्रों के, जिनकी ज़िन्दगी ख़ुद ही अनिश्चय के भंवर में हिचकोले खा रही हो। अब अपनी आंखों से मधुरिमा की गृहस्थी को देख आने के बाद उन्हें तसल्ली हो गई थी और मनप्रीत ने ही मधुरिमा को रुपए वापस पकड़ाते हुए