एक मुलाक़ात

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दरवाज़े पर दस्तक से वो चौंकी, जैसे किसी के ध्यान में बैठे व्यक्ति को झकझोर दिया हो, वो कुछ सोचतीं इससे पहले दरवाज़े पर फ़िर एक दस्तक हुई, अबकी बार पहले से भी थोड़ा और ज़ोर से दरवाज़े पर दस्तक दी गई थी, चूंकि दरवाज़ा पहले से ही खुला था, इसलिए हल्का सा खुला। शायद बाहर खड़ी व्यक्ति ने भी इस बात को महसूस किया और दरवाज़े को हल्का सा धकेल के खोल दिया। एक चरमराहट की आवाज़ के साथ दरवाज़ा खुल गया और कमरे में किसी के कदमों के चलने की आवाज़ आने लगी। हौले हौले उन क़दमों की