विंडो सीट थी।मौसम भी मस्त।फ़िर भी कुछ तो ऐसा था जो कुछ देर के लिए मधुरिमा को उदास कर देता था।लेकिन तभी आसमान से बादलों में छनती धूप नीचे ज़मीन के पेड़ों पर चिलका मारती और उन्माद लौट आता।कल शाम को पापा लूडो की नीली गोट से खेलते हुए जीतते गए और ये सारा आसमान मधुरिमा के लिए नीला हो गया।मम्मी हाथ में पीली गोट लिए पासे फेंकती रहीं और... और उनसे कुछ ही दूरी पर एक सादा समारोह में मधुरिमा के हाथ पीले हो गए।हां रे ... सचमुच।कल दो कारों में आगोश, सिद्धांत, साजिद, मनन, मनप्रीत, मधुरिमा और उसके