अब जाकर मनन के चेहरे पर थोड़ी हंसी आई। मज़ा आ गया उसे। दो बार से तो वो चित्त हो रहा था। अंकल उसे पटक देते और उस पर चढ़ बैठते। इस बार अंकल नीचे थे और वो ऊपर। मज़ा आया। मनन मधुरिमा के पापा को अंकल कहता था। केवल वो ही नहीं, बल्कि उनकी मंडली के सारे दोस्त ही उन्हें अंकल कहते थे। मगर इस समय आसपास कोई नहीं था। कमरे में बस वो दोनों ही अकेले थे। उन दोनों को ही समय का कोई ख़्याल नहीं था। मस्ती से एक दूसरे को पछाड़ने-गिराने में लगे थे। नहीं -