45 अलीराजपुर से लौटने के पश्चात समिधा का मन न जाने कितने टुकड़ों में बँटा रहा | घर लौटकर भी वह काफ़ी दिनों तक घर में नहीं थी | अजीब से अहसासों की चिंदी-चिंदी उसके दिमाग़ में उड़ती रहतीं | जब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ दूरदर्शन में पुण्या से बार-बार मिलना होता | पुण्या से मिलकर वह स्मृतियों की गलियों में घूमने लगती और घर पर भी कभी अपने पीछे घूमते सायों में या फिर मुक्ता की स्थिति के बारे में सोचती रहती | सच तो यह था कि उसके काम में अवरोध बढ़ता ही जा रहा था |