बेपनाह - 2

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2 वैसे इस थिएटर ने उसकी कुछ समय के लिए तकलीफ़ें कम की थी, वहाँ पर अपनी अपनी फील्ड के एक से बढ़कर एक बड़ा कलाकार, हर उम्र और हर रंग रूप के, कुछ दिनों में उसको बड़े मजे आने लगे, सब उस से बातें करते । सबको वो न जाने क्यों इतनी प्यारी लगती । वो सुबह छह बजे घर से रिहर्सल के लिए निकल जाती । मम्मी भी खुश कि चलो ग्यारह बारह बजे तक सोने वाली लड़की अब सुबह पाँच बजे उठ जाती है और अच्छे से नहा धोकर तैयार हो कर जाती है और शुभी तो