कर्तव्य - 4

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कर्तव्य (4) वहाँ पर खेलने में बहुत आनंद आ रहा था, सभी रिश्ते के भाई-बहिनों के साथ हम खेल रहे थे । हमें खेलते हुए देख कर भाभीजी के रिश्तेदारों के बच्चे भी वही हमारे साथ खेलने लगे । हमें भाभीजी को सजे हुए देखने का मन था, इसलिए हम अन्य बच्चों के साथ अंदर चले गए; पूर्व भैया वहीं खेलते रहे । जब हम अंदर गये तो भाभीजी तैयार हो रही थी उनके पास जाने की अनुमति नहीं मिली । हमारी नई सहेलियों ने वही