गुनाहों का देवता - 31

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भाग 31 ''सुधा कहाँ गयी?'' चन्दर ने नाचते हुए स्वर में कहा। ''गयी है शरबत बनाने।'' गेसू ने चुन्नी से सिर ढँकते हुए और पाँवों को सलवार से ढँकते हुए कहा। चन्दर इधर-उधर बक्स में रूमाल ढूँढऩे लगा। ''आज बड़े खुश हैं, चन्दर भाई! कोई खायी हुई चीज मिल गयी है क्या? अरे, मैं बहन हूँ कुछ इनाम ही दे दीजिए।'' गेसू ने चुटकी ली। ''इनाम की बात क्या, कहो तो वह चीज ही तुम्हें दे दूँ!'' ''हाँ, कैलाश बाबू के दिल से पूछिए।'' गेसू बोली। ''उनके दिल से तुम्हीं बात कर सकती हो!'' गेसू ने झेंपकर मुँह फेर लिया।