आगोश पहचान में नहीं आ रहा था। महीने भर में ही गेटअप पूरी तरह बदल गया था। बालों के रंग से लेकर जूतों के ढंग तक। सब बदल गया था। उसकी ट्रेनिंग सप्ताह में पांच दिन होती थी। उन पांच दिनों में से भी एक दिन पूरी तरह आउटिंग का होता था। एकांत में एक बहुत बड़े, खुले- खुले परिसर में हॉस्टल भी था और इंस्टीट्यूट भी। बाहर दूर- दूर से आए हुए लोग छुट्टी के दो दिन दिल्ली और आसपास घूमने में बिताते, मगर आगोश तो शुक्रवार की शाम घर चला आता। कुल चार - पांच घंटे का तो