साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे

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साहित्य की धरोहर-दादा श्री सीता किशोर खरे- (भाव सुमन) वेदराम प्रजापति मनमस्त डबरा(ग्वा.)म.प्र मो.9981284867 सादा जीवन उच्च विचार के आदर्श की मिशाल में,अपनी जीवन साधना के आधार पर दादा श्री सीता किशोर खरे जी की कलम प्रगतशील रचनाओं के पालने से चलकर,उच्चाकार झूलों के झूले पर झूलीं है,हालाकि वे छंद मुक्त कविता पथिक रहे है।ऐसी कविताओं का संकलन, तीखे वाणों से भरा तर्कश है,जिसमें समाज के नैतिक पतन पर गहरीं चोटे की हैं।इसकी बानगी का एक व्यंग छंद यह है जो मानव मन में गहरी हलचल मचा देता हैं। यथा-तुम मानते क्यों नहीं हो कि,