देहखोरों के बीच - भाग - पाँच

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भाग पांचअर्चना को अपने ननिहाल के गांव में आकर बहुत सुकून मिला था।खेतों में लहलहाती फसलें,बाग- बगीचों की फलदार हरियाली ,शुद्ध हवा ने उसका मन मोह लिया। यहां के ग्रामीण लोगों से उसे भरपूर प्यार मिल रहा था।वह पिछले दिनों के तनाव को भूल चुकी थी।उसका चेहरा निखर आया था।तेजी से शहर में तब्दील होते अपने कस्बे की संक्रमण कालीन मानसिकता से वह ऊब गयी थी।दोहरे लोग,दोहरा चरित्र, छी:!वह गाँव की लड़कियों के साथ खेतों की पगडंडियों पर फिसलती,मटर की फलियां तोड़कर घर लाती और उनकी घुघनी बनवाकर खाती।बाग में पेड़ों पर चढ़कर आम- अमरूद तोड़ती और बड़े चाव से