देहखोरों के बीच - भाग - चार

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भाग चारसमय तेजी से भागा जा रहा था।अर्चना काफी समय से नहीं दिख रही थी, पता चला कि वह ननिहाल गई है।मैंने दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी।अब मेरे लिए भी संघर्ष की स्थिति थी क्योंकि बाबूजी और भाई मेरे आगे पढ़ने के ख़िलाफ़ थे।मेरे लिए वर की तलाश हो रही थी।बस अम्मा ही चाहती थी कि आगे पढूँ।अम्मा को फ़िल्म देखने और लोकप्रिय साहित्य पढ़ने का बहुत शौक था ।हालांकि वह खुद पांचवीं पास थी पर हम बच्चों को अक्षर- ज्ञान उसी से मिला था ।हिसाब- किताब में भी वह माहिर थी।गुलशन नंदा,रानू,शिवानी के उपन्यास वह दो दिन ही