तर्ज़नी से अनामिका तक - भाग १२ - अंतिम भाग

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101. नैतिकता का तालाब यह घटना कई वर्ष पूर्व की है परंतु पीढी दर पीढी वहाँ के आसपास के निवासियों की जुबान पर आज भी रहती है। जबलपुर को तालाबों को षहर भी कहा जाता था जिनमें से एक तालाब के निर्माण का अदभुत प्रसंग है जो कि आज भी हमारे लिए आदर्ष है। रामानुज नाम के एक जमींदार के यहाँ एक बालक का जन्म हुआ परंतु दुखद बात यह थी कि उस बालक की माता उसे अपना स्वयं का दूध पिलाने में असमर्थ थी। ऐसी विकट परिस्थिति में एक