में और मेरे अहसास - 41

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आज बारिस के साथ आंखे भी बरसने लगी lयाद आने के साथ आंखे भी छलकने लगी ll कुछ ज्यादा ही लंबे हो गये हैं जुदाई के साल lदिलोदिमाग के साथ आंखे भी तरसने लगी ll डाकिया के हाथ में खत को देख कर lधड़कनों के साथ आंखे भी धड़कने लगी ll एक अर्सा गुज़र गया है आहट नहीं सुनी lदीवारों के साथ आंखे भी तड़पने लगी ll रिसता रूह से रूह का जुड़ा हुआ है lआत्मा के साथ आंखे भी मचलने लगी ll   ********************************************* मेरी हर ख्वाईश हो तुम lदिल की फर्माइश हो तुम ll नजरोसे दूर हो जब