पहले कदम का उजाला - 16

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पहली यात्रा*** एयरपोर्ट में अंदर जाते ही कुछ पूछते, कुछ पढ़ते हुए मैं अपनी एयर सर्विस के विंडो तक पहुंच ही गई। मैंने अपना बोर्डिंग पास लिया। “क्या मैं खिड़की वाली सीट लेना चाहूँगी?” इस सवाल का मैंने खुशी से जवाब दिया –“जी जरूर!” रोली से बात करके आगे बढ़ ही रही थी कि डॉ. देव दिख गये। एक आश्चर्य मिश्रित खुशी…! आज वक़्त ने वो दिखा जो मेरे मन में कहीं दबा पड़ा था। जिसके लिए मेरी धड़कन तेज़ हो जाती थी। मेरा मन कुछ माँगने लगता था। उसे देखकर बात करूं या नहीं यह सोच ही रही थी