पहले कदम का उजाला - 10

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मेरा दिल*** रोली की बीमारी, डॉक्टर देव से मिलना इन सबमें इतनी उलझ गए थी कि मन कुछ अजीब से सपने देखने लगा था। बालू के घर, पानी पर लकीर, क्यों सुकून देती हैं? हवा के महल, ताश के घर, क्यों अच्छे लगते हैं? जिंदगी के रास्ते, ज़रूरतों के वास्ते, बहुत तपाते हैं। जो सुन न सके, वो गीतों में, जो देख न सके, वो चित्रों में, जो मिल न सके, वो ख्यालों में, जो चल न सके, साथ-साथ राहों में, उनके बगैर जीते हैं। वो हरदम ख्यालों में रहते हैं। दुआओं के धागे, धड़कनों के आगे, हम साँस तो