चिंतन-मनन: - मूलत: सूक्त अपने आप में दो शब्दों को समाहित किये हुए है, मेधा व जनन। मेधा का तात्पर्य है बुद्धि की योग्यता व जनन का मतलब उत्पति। इस प्रकार इस सूक्त का मूल विचार बुद्धि की कुशाग्रता व योग्यता की उत्पति की ओर ध्यान मे आता है। बुद्धि की उत्पति के कारक में हम गुरू व शिष्य के द्वारा संवाद हुई विद्या व विद्या प्राप्ति की विधियों को कह सकते है। अत: कारको के रूप में चार कारकों का यहाँ व्याखान किया गया है, जो है गुरू, शिष्य, विद्या व विद्या की विधियाँ। सूक्त में शिष्य