स्वीकृति अध्याय आठ सुष्मिता पार्सल को खोलती है तो पार्सल में नोटों के कुछ बंडल पड़े थे जिसे देखते ही उसके आंखों में विस्मय तथा संशय दोनों ही भाव एक साथ तैरने लगते हैं. एक साथ सैकड़ों सवाल उसके मन में उठने लगते हैं. बड़े ही आशंकित मन से वह नोटों के उस बंडल को अपने हाथों से उठाती है तभी नोटों के उस बंडल के बीच से कागज का एक छोटा सा टुकड़ा खिसक कर गिरता है, वह उसे उठाती है. कागज की उस टुकड़े पर कुछ लिखा हुआ था . लिखावट उसे कुछ जानी पहचानी सी लगती है.