बद्री विशाल सबके हैं 4 कहानी स्वतंत्र कुमार सक्सेना समीक्षा स्वतन्त्र सक्सेना एक परिपक्व और विचारशील रचनाकार हैं, वे निबन्ध लेखक और कहानीकार हैं। उनकी कहानी जमीन से जुड़ी रहती हैं जो रोचक और विश्वसनीय भी होती हैं। भाषा पर उनका असाधारण अधिकार है। जनवादी चेतना से लैस उनकी कहानियां पाठक को भीतर से स्पर्श करती हैं। वेदराम प्रजापति ’दूसरे दिन सब लोग तैयार हो गए। बुजुर्ग तो रूक गए। डा. अहमद दम्पति भी रूक गए ,पर माथुर साहब तैयार थे। नईमा ,धीरू ,माथुर साहब के बेटा बेटी, सब उत्साह में थे। पटेल साहब मना कर रहे थे ,कि