39 कुछ पलों में ही दया एक हाथ में सुम्मी की गुल्लक तथा दूसरे में गुल्लक की चाबी लेकर बाहर आई | चारपाई पर बैठते हुए बोली ; “चलो, उठो –हमारे पास काम शुरू करने के लिए पैसे हैं | कोई ज़रूरत नहीं है कड़े रखने की !” राजवती एक झटके से उठकर बैठ गईं | “कहाँ हैं हमारे पास पैसे ?” “ये क्या हैं ? चलो गिनते हैं | ”दया ने पास पड़े एक तौलिए पर गुल्लक खोलकर ख़ाली कर दी जिसमें छुट्टे पैसों के साथ एक-एक रुपयों के भी कई नोट दिखाई दे रहे थे | “ये तो