"हे भगवान! यह क्या हो गया? मैं यहाँ कैसे आ गया? आनंद, क्या तुम वास्तव में इस बंगले में खड़े हो?"मेरे साथ एक बहुत ही चौंका देने वाली और अविश्वसनीय घटना घटी, कल्पना से परेह! मैं, आनंद अजमेरा, इतिहास का प्रोफेसर, रात को अपने कमरे में बैठकर क्राइम थ्रिलर पढ़ रहा था। मैं तकरीबन उपन्यास के अंत तक पहुँच ही चुका था और अचानक, मैं अपने कमरे में नहीं था।हैरानी की बात है, लेकिन मैं अपने उपन्यास के अंदर प्रवेश कर गया था! आश्चर्यचकित हो कर, मैंने चारों ओर देखा। मेरी ओर किसी का ध्यान नहीं था। मेरे उपन्यास का