मैं तो ओढ चुनरिया - 30

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अध्याय 30 मेरी क्लास में सबसे पीछे की सीट जो कक्षा के कमरे के एक कोने में रखी रहती , हमेशा रिजर्व रहती थी । जहाँ बाकी सब लडकियाँ अपनी अपनी सीट के लिए भागती दौड़ती आती , लेट हो जाने पर अक्सर सीट छिन जाती , वहां वह कुर्सी हमेशा आने वाली का इन्तजार करती खाली पड़ी रहती । जब सब लड़कियां अपने बैग अपनी कुर्सी पर टिका कर प्रार्थना के लिए चली जाती , तब वह डरते डरते क्लास में आती । चुपके से कुर्सी पर बैठकर बस्ता गोद में लेती और पूरा दिन चुपचाप वहीं